NCERT की किताबों में बदलाव: अब पढ़ेंगे सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की वीरगाथाएं
NCERT ने कक्षा 7 और 8 की किताबों में सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की वीरगाथाएं जोड़ीं। जानिए इस बदलाव का महत्व और बच्चों पर इसका असर।
परिचय
भारत में शिक्षा केवल किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं होनी चाहिए; यह बच्चों के दिल और दिमाग में ऐसे बीज बोनी चाहिए जो उन्हें देशभक्ति, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा की राह पर ले जाएं। इसी सोच के साथ NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) ने एक ऐतिहासिक बदलाव किया है। कक्षा 7 और 8 की पाठ्यपुस्तकों में अब तीन महान सैन्य नायकों — फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा — की कहानियां शामिल की जा रही हैं।
यह बदलाव केवल इतिहास में एक और अध्याय जोड़ना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को बलिदान, साहस और नेतृत्व के वास्तविक उदाहरणों से जोड़ने का प्रयास है।
इन तीनों नायकों का परिचय
1. फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ
सैम मानेकशॉ, जिन्हें "सैम बहादुर" के नाम से भी जाना जाता है, भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अद्वितीय नेतृत्व दिखाया और बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी नेतृत्व शैली, सूझबूझ और सैनिकों को प्रेरित करने की क्षमता आज भी सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों में पढ़ाई जाती है। वे न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि नीति और रणनीति के स्तर पर भी अद्वितीय थे।
2. ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को भारत के "लायन ऑफ नॉर्थ" कहा जाता है। 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने अदम्य साहस और समर्पण का परिचय दिया।
वे मुस्लिम समुदाय के उन गिने-चुने उच्च-रैंक अधिकारियों में थे जिन्होंने भारत के विभाजन के बाद भी भारत में रहकर सेना में सेवा जारी रखी।
उनका बलिदान एकता, वफादारी और देशभक्ति की मिसाल है।
3. मेजर सोमनाथ शर्मा
मेजर सोमनाथ शर्मा भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता थे। 1947 में कश्मीर में हुए युद्ध में, उन्होंने अपने अंतिम सांस तक दुश्मन का सामना किया।
उनके अंतिम शब्द थे — "मैं पीछे नहीं हटूंगा, मेरे सैनिक मेरे साथ हैं।"
उनकी वीरता और बलिदान ने कश्मीर की रक्षा में निर्णायक भूमिका निभाई।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं हो सकती। बच्चों को अपने देश के इतिहास, नायकों और मूल्यों से परिचित कराना उतना ही जरूरी है जितना गणित और विज्ञान पढ़ाना।
यह बदलाव कई स्तरों पर महत्वपूर्ण है:
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देशभक्ति की भावना को जगाना – जब बच्चे अपने देश के नायकों की कहानियां पढ़ते हैं, तो उनमें अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान की भावना विकसित होती है।
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रोल मॉडल प्रदान करना – इन कहानियों से बच्चे सीखेंगे कि कठिन परिस्थितियों में कैसे साहस और दृढ़ संकल्प दिखाया जाता है।
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एकता का संदेश – ब्रिगेडियर उस्मान जैसे उदाहरण यह बताते हैं कि धर्म और जाति से ऊपर उठकर देश सेवा कैसे की जाती है।
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नेतृत्व और रणनीति की शिक्षा – सैम मानेकशॉ जैसे नेता यह दिखाते हैं कि विजेता बनने के लिए केवल ताकत नहीं, बल्कि सूझबूझ और नेतृत्व भी जरूरी है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से जुड़ाव
इन अध्यायों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के सन्दर्भ से जोड़ा गया है। यह केवल एक इमारत नहीं, बल्कि उन हजारों सैनिकों की स्मृति का प्रतीक है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
जब बच्चे इन कहानियों को पढ़ेंगे और फिर स्मारक के बारे में जानेंगे, तो उन्हें बलिदान का वास्तविक महत्व समझ में आएगा।
शिक्षा में मूल्य-आधारित बदलाव की दिशा में कदम
NCERT का यह कदम शिक्षा को केवल परीक्षा पास करने का साधन न बनाकर, जीवन मूल्यों का स्रोत बनाने की दिशा में है। यह बदलाव तीन मुख्य स्तरों पर असर डालेगा:
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व्यक्तित्व निर्माण – बच्चे न केवल ज्ञान में, बल्कि सोच और दृष्टिकोण में भी परिपक्व होंगे।
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सामाजिक जागरूकता – वे समझेंगे कि आजादी और सुरक्षा किन त्यागों की बदौलत संभव हुई है।
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भविष्य की जिम्मेदारी – यह कहानियां बच्चों को अपने देश के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगी।
आलोचना और चुनौतियां
हालांकि यह बदलाव सकारात्मक है, लेकिन कुछ शिक्षा विशेषज्ञ सवाल भी उठा सकते हैं:
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क्या ये कहानियां केवल पढ़ाने तक सीमित रह जाएंगी, या इन्हें इंटरएक्टिव लर्निंग के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा?
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क्या सभी स्कूलों में शिक्षक इन कहानियों को भावनात्मक जुड़ाव के साथ पढ़ा पाएंगे?
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क्या ग्रामीण और शहरी स्कूलों में समान रूप से इन अध्यायों का प्रभाव पड़ेगा?
इन सवालों का समाधान तभी संभव है जब पाठ्यपुस्तकों के साथ वर्कशॉप, प्रोजेक्ट, नाटक और विज़िट जैसे प्रयास भी किए जाएं।
भविष्य की संभावनाएं
अगर यह बदलाव सफल होता है, तो आगे चलकर NCERT अन्य नायकों, वैज्ञानिकों, सामाजिक सुधारकों और कलाकारों की कहानियां भी शामिल कर सकता है।
इसके अलावा, डिजिटल माध्यम पर वीडियो लेक्चर, ऑडियोबुक और इंटरएक्टिव स्टोरीटेलिंग के जरिए इन अध्यायों को और ज्यादा रोचक बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
NCERT का यह फैसला शिक्षा में देशभक्ति और मूल्यों का समावेश करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा जैसे नायकों की कहानियां बच्चों को यह सिखाएंगी कि सच्ची सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए किए गए योगदान में है।
अगर यह बदलाव सही तरीके से लागू किया गया, तो यह आने वाली पीढ़ियों के दिल में राष्ट्रभक्ति, साहस और कर्तव्यनिष्ठा के बीज बो देगा — और यही शिक्षा का असली उद्देश्य है।
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